ख़ामोशी नेबांध लीबातों की गांठअब कोई बोले तोक्या बोले***बदली नेपहरे तोखूब बिठायेलेकिन चाँदभाग ही निकला***रात कीथैली मेंचाँद नेभर कर रखेसितारों के हीरेऔर भोर होते हीनिकल गया
चाँद भाग निकला !!!
July 20, 2011 by Manju Mishra
चाँद का aने रूप में मानवीकरण बहुत पसन्द आया ।बातों की गाँठ बाँध लेने पर छाई खामोशी तो बहुत बेधक होती है-ख़ामोशी ने
बांध ली
बातों की गांठ
अब कोई बोले तो
-यह सुन्दर और नवीन प्रयोग है , जिसमें आप सिद्धहस्त हैं ।
Very Innocent, very nice!
ख़ामोशी ने बांट ली है गाँठ ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति … और चारद तो ऐसे ही सबको लुभाता रहता है …सुन्दर क्षणिकाएँ
बहुत बढ़िया
बदली ने
पहरे तो
खूब बिठाये
लेकिन चाँद
भाग ही निकला
ati sunder
ख़ामोशी ने
बांध ली
bahut alag si baat kahi aapne
badhai
rachana
बातों की गांठ