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छंद सी गुनगुनाती हवा
जब बजती है कानों में
छेड़ती सी प्रीत के सुर
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खिलखिला उठते हैं
अनगिनत ख्वाब
पलकों की शाखों पर
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धड़कने लगती हैं
साँसे बेसुरी सी
बिना लय-ताल के
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खुशियां महक उठती हैं
जिंदगी की जमीन पर
सोंधी मिटटी सी
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खुशियां महक उठती हैं
जिंदगी की जमीन पर
सोंधी मिटटी सी
बहुत सुंदर भाव !
Thanks Indu !
bahut khoob manju ji…badhai
Thanks Jyotsana !
बहुत सुंदर
Thanks !