ख्वाहिशें …
July 15, 2015 by Manju Mishra
१.
ख्वाहिशें
परिंदो सी हैं
छोटी छोटी
खुशियों की खोज में
यहाँ वहां उड़ती फिरती हैं
२.
कितनी ख्वाहिशों ने
दम तोड़े होंगे
तब कहीं जा कर
यह तजुर्बे की चाँदी चढ़ी है
बाल धूप में नहीं पकते
३.
अल्लाह !
ये ख्वाहिशों की उड़ान
कहीं, दम ही न ले ले
ख़ुदा ही जाने,
ये निगोड़े पाँव
कहाँ तक साथ देंगे
४.
मेरी ख्वाहिशों ने
रिश्ते जोड़ लिए आसमानों से
उगा लिए हैं पंख
और उड़ने लगी हैं हवाओं में
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