हवाओं ने लिख दी प्रेम कथा प्यार के मौसम में 🙂

प्यार का मौसम / 1
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Haiku writing Workshop – for Hindi Students at Duke University
ड्यूक विश्वविद्यालय के हिंदी छात्रों के साथ एक और कार्यशाला। हाइकु लेखन की यह कार्यशाला बहुत ही रोचक ओर सफल रही। छात्रों द्वारा लिखे गए हाइकु ड्यूक विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किए गए हैं। यह वे छात्र हैं जो शुरु से अंग्रेजी में ही पढ़ते सीखते आ रहे हैं, हिंदी को इन्होने अब एक अन्य भाषा के रूप मे सीखना शुरु किया है, इन में से कुछ छात्र तो गैर हिंदी भाषी मूल के भी हैं। इनका हिंदी प्रेम सच में प्रशंसा के लायक है ।
यह बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि इस कार्यशाला के दौरान छात्रों द्वारा लिखे हाइकु में से कुछ चुने हुए हाइकु प्रसिद्ध हाइकुकार डॅा जगदीश व्योम जी द्वारा संपादित किए जा रहे एक संकलन में भी प्रकाशित किये जाएँगे। इस संकलन में विश्व भर से छात्रों की रचनाओं को लिया जाएगा ।
इस कार्यशाला में लिखे गए कुछ हाइकु तो बहुत ही अच्छे हैं, इनकी गुणवत्ता देख कर यह बिलकुल भी नहीं कहा जा सकता कि यह किसी नौसिखिये ने लिखे होंगे । उदाहरण के लिए यह हाइकु देखें
१।
नयी जगह
नए लोगों से मिला
नया तजुर्बा – (दिव्या नटराज)
२।
सुंदर पत्ते
पेड़ों के कानों में करें
मीठी बतियाँ – (अमल गुप्ता)
नीचे दिए गए Duke University के लिंक पर इनके हाइकु पढ़े जा सकते हैं
https://sites.duke.edu/dukehindi/2022/01/23/959/
– मंजु मिश्रा
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मैं लगभग १९ साल पहले एक बार सर्दियों के मौसम में न्यूयॉर्क आयी थी तब मैने पहली बार जिंदगी में बर्फ देखी थी। इतनी सर्दी मैंने कभी नहीं महसूस की थी, घर के अंदर पूरा समय हीट चलने के बावजूद मुझे कंपकंपी ही चढ़ी रहती थी। चारों तरफ बर्फ ही बर्फ थी। जैसे तैसे जाने का दिन आया, वापस सैनफ्रांसिस्को जाते हुए प्लेन में खूब जोर का बुखार चढ़ा तब जा कर कहीं कंपकंपी बंद हुई।बस उस दिन मैंने तय कर लिया था कि कभी भी दुबारा सर्दियों में न्यूयॉर्क नहीं आउंगी … उसके बाद कई बार आई लेकिन कभी सर्दी के मौसम में नहीं आई। बहुत बार घर में चर्चा हुई लेकिन मैने कभी यहाँ रहने के बारे में भी नहीं सोचा
लेकिन अब इतने सालों के बाद एक बार फिर मैं यहाँ जनवरी के महीने में भयंकर ठंडी के मौसम में आई हूँ, आई क्या हूँ आना पड़ा है। बर्फ भी पड़ रही है -7 से -10 डिग्री की ज़बरदस्त कडक़ड़ाती हुई सर्दी भी है लेकिन बेटी का प्यार इस सब पर भारी है।वह यहाँ न्यूयॅार्क यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने के लिए आई है, और मैं उसके साथ, उसके कॅालेज, उसके हॅास्टल सब जगह आना जाना कर रही हूँ । आज तो मैं बर्फबारी के बीच बाहर भी निकली …
और भी बहुत कुछ है, वो सब विवरण विस्तार से अगली पोस्ट में, घर वापस पहुँचने के बाद 🙂 तब तक के लिए नमस्ते !
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मन के आँगन की दीवारों पर…
न जाने कहाँ कहाँ
कौन कौन सी दरार ढूंढ कर
उग आती हैं यादें
और धीरे धीरे
पीपल सी जड़ें जमा लेती हैं
फिर एक दिन
ढह जाती है आँगन की दीवार
और यादें दफ़न हो जाती हैं
अपने ही बोझ तले
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बधाई हो बधाई.. खुशी है छाई..
हिंदीसेवी मंजु मिश्रा को अमेरिकी राष्ट्रपति ने दिया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी अनुयाई परिवार के लिए आज बहुत ही गर्व और खुशी का दिन है।
अमेरिका में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता एवं आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की अमेरिकी इकाई की अध्यक्ष श्रीमती मंजु मिश्रा को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने “लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड” से सम्मानित किया है।
लखनऊ निवासी श्रीमती मंजु मिश्रा अमेरिका के कैलिफोर्निया में प्रवास कर रही हैं। अमेरिका में आप हिंदी के प्रचार प्रसार के साथ-साथ जरूरतमंदों की हर तरह से मदद करने को हर वक्त तत्पर रहती हैं। अमेरिका में कुछ मित्रों के साथ मिलकर वर्ष 2011 में श्रीमती मंजु मिश्रा ने विश्व हिंदी ज्योति नामक संस्था की शुरुआत की। यह संस्था अमेरिका के प्रवासी भारतीयों के बच्चों के साथ साथ अमेरिकी नागरिकों को भी हिंदी सिखाने का काम करती है। दो दशक से भी अधिक समय से कैलिफोर्निया में रह रहीं श्रीमती मंजु मिश्रा अमेरिका में अब तक हजारों भारतीय मूल के तथा गैर भारतीयों को हिंदी भाषा सिखा चुकी हैं।
अपने काम से यह संस्था आज काफी लोकप्रिय हो चुकी है। प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले हिंदी संवर्धन के कार्यक्रमों में भारतीय काउंसलेट भी सहयोग करता है। हिंदी की उल्लेखनीय सेवा के लिए आपको वर्ष 2014 में विश्व हिंदी सेवा सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनका सपना है कि अमेरिका के स्कूलों में भी छात्रों के लिए विदेशी भाषा के रूप में हिंदी एक विकल्प हो। अपने इस सपने को पूरा करने में भी वह लगातार प्रयासरत हैं।
मंजु मिश्रा का जीवन पूर्ण रूप से समाज सेवा एवं हिंदी की सेवा को समर्पित है। श्रीमती मंजु मिश्रा उत्तर प्रदेश मंडल ऑफ अमेरिका (उपमा) की बोर्ड मेम्बर हैं तथा भारत में चलने वाले संस्था के कार्यक्रमों का काम-काज देखती हैं। प्रवासी भारतीय नीलू गुप्ता द्वारा द्वारा गठित उपमा संस्था उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई और जरूरतमंदों की आर्थिक मदद सुनिश्चित करती है। इस संस्था के प्रोजेक्ट बुंदेलखंड रीजन के चित्रकूट एवं निसवारा में संचालित हो रहे हैं। एक प्रोजेक्ट साईधाम (फ़रीदाबाद- हरियाणा) में भी चल रहा है। कोरोना संकट के दौरान भी उत्तर प्रदेश मंडल ऑफ अमेरिका (उपमा) ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जरूरतमंदों के लिए 20 लाख से अधिक रुपए भेजें। इस आर्थिक मदद से विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई। भोपाल की सामाजिक कार्यकर्ता श्रीमती माया विश्वकर्मा की संस्था सुकर्मा को भी श्रीमती मंजु मिश्रा ने आई.सी. सी ट्राई वैली के माध्यम से मास्क सेनीटाइजर और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के लिए आर्थिक मदद उपलब्ध कराई थी। कोरोना संकट के दौरान उपमा के किए गए प्रयासों की अभी हाल ही में गौरव अवस्थी द्वारा संकलित और संपादित कोरोना योद्धाओं के काम पर केंद्रित पुस्तक “ताकि सनद रहे” में भी प्रमुखता से चर्चा हुई है। नारिका नाम की संस्था जो सैन फ़्रैन्सिस्को बे एरिया में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए काम करती है उसके साथ बोर्ड मेम्बर के रूप में जुड़ कर आप भारतीय महिलाओं की मदद करने का काम भी कई वर्षों से कर रही हैं ।
श्रीमती मंजु मिश्रा को हिंदी साहित्य में भी महारत हासिल है। उनका एक काव्य संग्रह “जिंदगी यूं तो”प्रकाशित हो चुका है। 50 से अधिक संग्रहों एवं विभिन्न ई-पत्रिकाओं में भी आपकी कविता और कहानियां प्रकाशित हो चुकी हैं।
आपकी मातृभाषा और सामाजिक सेवा को देखते हुए ही आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की ओर से वर्ष 2017 में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी युगप्रेरक सम्मान से रायबरेली के भव्य समारोह में सम्मानित किया गया था। तभी से आप मातृभाषा हिंदी के साथ-साथ आचार्य द्विवेदी स्मृति संरक्षण अभियान को भी अपना संरक्षण-सहयोग-स्नेह प्रदान कर रही हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन द्वारा लाइव टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त होने पर श्रीमती मंजु मिश्रा को आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति की भारत इकाई एवं हिंदी प्रेमियों की तरफ से बहुत-बहुत बधाई। आप का सानिध्य पाकर हम सब गौरवान्वित हैं। आप ऐसे ही सामाजिक कार्य और सात समंदर पार मातृभाषा हिंदी को पुष्पित पल्लवित करती रहें, यही सच्ची राष्ट्र सेवा है। यही राष्ट्रीय धर्म है। यही भारतीय समाज का मर्म है।
हम सब हिंदी प्रेमी भी आपके स्वास्थ्य सार्थक और दीर्घ जीवन की कामना करते हैं।
∆ गौरव अवस्थी “आशीष”
रायबरेली/उन्नाव
91-9415-034-340
प्रवासी भारतीय मंजु मिश्रा को अमेरिका का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड
http://www.jantajanardan.com/NewsDetails/42011/life-time-achivments-award-america.htm
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