यादें पीपल सी ….
मन के आँगन की दीवारों पर…
न जाने कहाँ कहाँ
कौन कौन सी दरार ढूंढ कर
उग आती हैं यादें
और धीरे धीरे
पीपल सी जड़ें जमा लेती हैं
फिर एक दिन
ढह जाती है आँगन की दीवार
और यादें दफ़न हो जाती हैं
अपने ही बोझ तले
Posted in Uncategorized, tagged हिंदी, हिंदी कविता on January 10, 2022| Leave a Comment »
मन के आँगन की दीवारों पर…
न जाने कहाँ कहाँ
कौन कौन सी दरार ढूंढ कर
उग आती हैं यादें
और धीरे धीरे
पीपल सी जड़ें जमा लेती हैं
फिर एक दिन
ढह जाती है आँगन की दीवार
और यादें दफ़न हो जाती हैं
अपने ही बोझ तले
Posted in Uncategorized, tagged शायरी, शेर, हिंदी, हिन्दी कविता on May 31, 2021| Leave a Comment »
.बस यूँ ही एक शेर …
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Posted in Uncategorized, tagged हिंदी, हिंदी दिवस, हिन्दी कविता, hindi, Hindi Divas, hindi kavita on September 14, 2020| Leave a Comment »
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Posted in मेरी पसंद, tagged abhivyakti, कविता, नारी, यकीन, शायरी, स्त्री, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, hindi kavita, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju, manjumishra on August 26, 2020| Leave a Comment »
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उठो
सीधी खड़ी हो
और खुद पर यकीन करो
तुम किसी से कम नहीं हो
तुम झूठे पौरुष के दंभ का शिकार
जानवरों का शिकार तो
बिलकुल नहीं बनोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
अपने
पैरों के नीचे की जमीन
और सर के ऊपर का आसमान
तुम खुद तलाश करोगी
तुम्हे अपनी जिंदगी से जो चाहिए
उसके होने न होने की राह भी
तुम खुद तय करोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
रिश्तों का मोल
तुम खूब पहचानती हो
इनको निभाने का सलीका भी
खूब जानती हो लेकिन
तुम कमजोर नहीं हो
अपने स्वाभिमान की कीमत पर
तुम कुछ नहीं सहोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
Posted in Uncategorized, tagged abhivyakti, कविता, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju on August 30, 2019| Leave a Comment »
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Posted in अनुभूतियाँ, सामाजिक सरोकार, tagged रचना, समाज, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता on May 31, 2017| 7 Comments »
सरे आम होने वाले अपराधों को लोग कैसे तमाशाई बनकर देखते रहते हैं, आखिर हमे हो क्या गया है… हम जिन्दा भी हैं या नहीं, आत्म विश्लेषण की बहुत जरूरत है
Posted in अनुभूतियाँ, tagged अाँगन, कविता, जीवन, दीवार, दीवारें, याद, यादें, हिंदी, हिन्दी, manju, Mishra on May 9, 2017| 9 Comments »
Posted in अनुभूतियाँ, मेरी पसंद, tagged abhivyakti, कविता, जिंदगी, जिन्दगी, हिंदी, हिन्दी, hindi, hindi kavita, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju, manju mishra, manjumishra, poem, poetry on April 1, 2017| 6 Comments »
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