समय कैसे पंख लगा कर उड़ता है, पता ही नहीं चला कब वो २० इंच की नन्ही सी गुड़िया इतनी बड़ी हो गयी कि अगले साल कॉलेज चली जाएगी, और घर सूना सूना लगेगा …
इला के जन्मदिन पर बहुत दिनों के बाद कुछ हाइकु लिखे हैं ।
फूल की पाँख
सूरज की किरण
नन्ही बिटिया ।१।
नन्ही चिरैया
घर भर में डोले
मिश्री सी घोले ।२।
नन्ही बिटिया
देखते ही देखते
बड़ी हो गयी ।३।
मुट्ठी में बांधे
जीवन का सारांश
साँसों की डोर ।४।
उड़ जाएगी
उड़ान परखेगी
आँगन सूना ।५।
जाएगी दूर
परवाज़ तोलने
मन उदास ।६।
आपकी लिखी रचना “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” आज सोमवार 30 नवंबर 2020 को साझा की गई है…. “सांध्य दैनिक मुखरित मौन में” पर आप भी आइएगा….धन्यवाद!
वाह
धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी !
भाभीजी ,२० इंच की बेटी को २० साल की बनाते जो अनमोल घडिया मिली है वो अगले २० साल साथ देगी जब बेटी आपके दिए हुए पंख लगाके आसमानमे उड़ेगी
ये बात तो आपने बिलकुल सही कही ननद जी ! आप सबके सहयोग और आशीर्वाद का सुफल है यह, कि आज हम सबकी नन्ही परी आसमान मे उड़ने लायक हो गई है 🙂