१.
तोड़ लो
मगर ख़ामोशी से,
सितारों के फूल…
चाँद न जागे
सन्नाटे का जादू टूट जायेगा
२.
ख़ामोश सी फिजायें
चुप चुप सा है समां
फ़िर भी रात
सन्नाटी नहीं
चाँद का साथ…..
३.
यूँ तो
ख़ामोश है रात
पर सन्नाटे का भी
अपना अलग राग है
सुनो तो कान देकर –
सुनाई देंगी
रात की सिसकियाँ…..
सन्नाटा – अलग अलग अंदाज़ ….
January 22, 2012 by Manju Mishra
sanaataa bahut kuchh kahtaa
sabr se sunoge to sunaayee degaa
badhiyaa rachna
धन्यवाद राजेंद्र जी ! एकदम सही कहा आपने… सब्र ही तो महत्त्वपूर्ण है…
ख़ामोश है रात
पर सन्नाटे का भी
अपना अलग राग है..
khamoshi bahut kuch bayan ker jaati hai,balki sab kuch…
धन्यवाद इंदु !
bahut khoob, gehri soch parilakshit hoti hain apki lekhni se
Thank you Shanshank ji !
Kya baat hai Manju ji sach sannate ke aagosh mei alag hi mahak hai aur jaane chuppi hai kitni kahaniya..bahut sundar rachna
Thank you Soma !
आपकी इस अद्वितीय अभिव्यक्ति को समर्पित दो पंक्तियाँ :
वक्त की ख़ामोशी को कैसे हम गुनगुनाएं
काँपती लबों पे अब छा गया सन्नाटा है
वो कब के दूर जा चुके हैं महफिल से
ये दर्द दीवारों से हमने कई बार बांटा है
सादर
दिव्यांश जी बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ हैं… धन्यवाद,
सादर
खामोशी या सन्नाटे को भेदती बहुत अच्छी क्षणिकाएं ..
खामोशियाँ
ठहर गयीं हैं
आज
आ कर
मेरे लबों पर
खानाबदोशी की
ज़िंदगी शायद
उन्हें
रास नहीं आई
धन्यवाद संगीता जी… बहुत सुंदर पंक्तियाँ हैं…
सन्नाटे से सम्वाद,मौन मन की भाषा,अद् भुत