Posts Tagged ‘manju’
बस यूँ ही…
Posted in Uncategorized, tagged अभिव्यक्ति, कविता, घर, परिंदे, हिंदी, हिन्दी, manju, Mishra on September 4, 2023| Leave a Comment »
तुम्हारे हिस्से का आसमान…
Posted in Uncategorized, tagged abhivyakti, कविता, दुख, सुख, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, hindi kavita, kavita, manju, manju mishra on May 25, 2023| Leave a Comment »
माना कि
कोई तय शुदा
ब्यौरा नहीं होता
लिखा पढ़ा
करार भी नहीं होता
लेकिन फिर भी
हर सुख की
हर दुःख की
एक उम्र तो होती है न …
सदा तो कोई नहीं रहता
तुम्हारे हिस्से का आसमान
तुम्हे भी जरूर मिलेगा एक दिन,
तुम, बस …
कहीं थक कर
हार मत जाना !
इश्क …
Posted in अनुभूतियाँ, tagged कविता, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, kavita, manju, manju mishra on April 14, 2023| Leave a Comment »
तेरे सपनों की तलाशी में
मेरी भी शिनाख्त हो जाएगी
मिरे वजूद को पहचान लिया जायेगा
तेरी धडक़नों की बेतरतीबी से
यही तो इश्क है …
खुद पर यकीन करो …
Posted in मेरी पसंद, tagged abhivyakti, कविता, नारी, यकीन, शायरी, स्त्री, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, hindi kavita, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju, manjumishra on August 26, 2020| Leave a Comment »
….
उठो
सीधी खड़ी हो
और खुद पर यकीन करो
तुम किसी से कम नहीं हो
तुम झूठे पौरुष के दंभ का शिकार
जानवरों का शिकार तो
बिलकुल नहीं बनोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
अपने
पैरों के नीचे की जमीन
और सर के ऊपर का आसमान
तुम खुद तलाश करोगी
तुम्हे अपनी जिंदगी से जो चाहिए
उसके होने न होने की राह भी
तुम खुद तय करोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
रिश्तों का मोल
तुम खूब पहचानती हो
इनको निभाने का सलीका भी
खूब जानती हो लेकिन
तुम कमजोर नहीं हो
अपने स्वाभिमान की कीमत पर
तुम कुछ नहीं सहोगी
तुम जिंदगी में
किसी से नहीं डरोगी ….
***
ग्लेशियर अब पिघल गए हैं ….
Posted in Uncategorized, tagged abhivyakti, कविता, हिंदी, हिन्दी, हिन्दी कविता, hindi, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju on August 30, 2019| Leave a Comment »
एक बात कहें
हमने ये जो ज़रा सा
खुला आसमान देखा है न
इसके लिए हमने
बहुत जद्दोज़हद की है
वर्ना तुमने तो
पर उगने से पहले ही
हमें जिबह करने में
कोई कसर कहाँ छोड़ी थी
खैर
कोई बात नहीं
बरसों से जमे ग्लेशियर
अब पिघल गए हैं
हमारे ऊपर की सब बर्फ
बह गई है
धूप भी निकल आई है
हमारे परों में भी
नई जान आई ही समझो
ज़रा ठहरो
फिर देखना हमारी परवाज़
हमारी मंज़िल आसमान है
.
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यादें पीपल सी
Posted in अनुभूतियाँ, tagged अाँगन, कविता, जीवन, दीवार, दीवारें, याद, यादें, हिंदी, हिन्दी, manju, Mishra on May 9, 2017| 9 Comments »
*
मन के
आँगन की
दीवारों पर…
न जाने कहाँ कहाँ
कौन कौन सी दरार ढूंढ कर
उग आती हैं यादें
और धीरे धीरे
पीपल सी जड़ें जमा लेती हैं
फिर एक दिन
ढह जाती है आँगन की दीवार
और यादें दफ़न हो जाती हैं
अपने ही बोझ तले
*
जिन्दगी का गणित
Posted in अनुभूतियाँ, मेरी पसंद, tagged abhivyakti, कविता, जिंदगी, जिन्दगी, हिंदी, हिन्दी, hindi, hindi kavita, hindi poem, hindi poetry, kavita, manju, manju mishra, manjumishra, poem, poetry on April 1, 2017| 6 Comments »
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बरस महीने दिन
छोटे छोटे होते
अदृश्य ही हो जाते हैं
और मैं
बैठी रहती हूँ
अभी भी
उनको उँगलियों पे
गिनते हुए
बार बार
हिसाब लगाती हूँ
मगर
जिन्दगी का गणित है कि
सही बैठता ही नहीं
.
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मिट्टी के घरौंदों को क्या आंधी से डराता है
Posted in मेरी पसंद, tagged manju, manju mishra on December 17, 2016| Leave a Comment »
-:-
मिट्टी के घरौंदों को क्या आंधी से डराता है
ये तो वो हैं, जिन्हें तूफ़ान हर रोज जगाता है
..
टूटेंगे बिखरेंगे.. और फिर से बनेंगे
फितरत है ये इनकी गिर गिर के उठेंगे
-:-
अनचीन्हे से लगते हो !! The stranger !!
Posted in मेरी पसंद, tagged manju, manju mishra on May 17, 2013| 7 Comments »
तुम क्या जानो प्राण हमारे
तुम्हे हृदय ने कितना चाहा
कितना मान है किया तुम पर
तुमको कितनी बार सराहा
-:-
बूझ लिया करते थे तुम भी
बिना कहे ही मेरी बातें
आँखों-आँखों कहते सुनते
कट जाया करती थीं रातें
-:-
काँटा मुझको चुभता था
तो पीड़ा, तुमको होती थी
मेरे हिस्से के आंसू … ले,
आँख तुम्हारी रोती थी
-:-
आज वही हूँ मैं और तुम भी
यूँ तो वैसे ही दिखते हो
फिर भी कुछ तो बदल गया
जो अनचीन्हे से लगते हो !!
-:-
उधेड़ और बुन ….
Posted in Uncategorized, tagged hindi, jumishra, kavita, manju, manju mishra, poetry, vita on May 17, 2013| 7 Comments »